
तन्मय खंडूजा
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महिदपुर रोड:
स्थानीय श्री सुविधिनाथ जैन मंदिर में विराजित तपोवन प्रेरक युगप्रधान आचार्यसम परम पूज्य पन्यास प्रवर श्री चंद्रशेखर विजय जी म सा के शिष्य आचार्य श्री जिनसुंदर सुरीश्वर जी म सा ने सोमवार को धर्मसभा को जिनवाणी का रसपान कराया।
गुरुदेव ने अपने प्रवचन में कहा, “व्यक्ति की भावना जितनी उत्कृष्ट होती है, उसका फल भी उतना ही श्रेष्ठ होता है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जयतक ने परमात्मा को उत्कृष्ट भाव से 18 पुष्प अर्पित किए थे। उनके इस भाव के कारण वह भविष्य में कुमारपाल महाराज बने और 18 देशों पर शासन किया।
गुरुदेव ने समझाया कि जैसे हम किराने की दुकान से किराना और कपड़े की दुकान से कपड़े खरीदते हैं, वैसे ही पुण्य प्राप्त करने के लिए हमें जिन मंदिर जैसे पुण्य स्थल पर जाना चाहिए। “जिनेश्वर भगवान का मंदिर ही पुण्य की प्राप्ति का सर्वोत्तम स्थान है,” उन्होंने कहा।
गुरुदेव ने यह भी बताया कि छोटा सा दान भी अगर उत्कृष्ट भावना से किया जाए, तो वह अनंत पुण्य का कारण बनता है। “भावना में अगर गहराई हो, तो भवसागर पार करना संभव है,” उन्होंने जोड़ा।
इस अवसर पर आचार्य श्री ने 2 दिन तक महिदपुर रोड में स्थिरता प्रदान की। इसके बाद संध्या समय वे रुपेटा होते हुए उन्हेल स्थित कमीपूर्ण पारसनाथ तीर्थ की ओर विहार करेंगे।
उन्हेल में भव्य दीक्षा महोत्सव:
उन्हेल में आचार्य श्री की पावन उपस्थिति में 16 से 19 जनवरी तक दो मुमुक्षु दीक्षार्थी बहनों का भव्य दीक्षा महोत्सव आयोजित होगा।
समाजजनों की भागीदारी:
इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे और धर्मलाभ लिया।
यह जानकारी जैन समाज के मीडिया प्रभारी सचिन भंडारी ने दी।
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रिपोर्ट: Royal Express News